छत्तीसगढ़

राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. नायक ने की जनसुनवाई, 5 प्रकरणों पर हुई चर्चा

रायपुर। राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक ने शास्त्री चौक स्थित, राज्य महिला आयोग कार्यालय में महिलाओं से संबंधित शिकायतों के निराकरण के लिए मंगलवार को सुनवाई की।
     मंगलवार की इस सुनवाई में प्रस्तुत प्रकरण में उभय पक्षों के मध्य नोटरी के द्वारा निष्पादित सहमति पत्र की मूल प्रति आयोग के समक्ष प्रस्तुत की गई। दोनों पक्षों के मध्य हुए समझौता की इस सहमति पत्र में आवेदिका ने अनावेदक से मिलने वाले 11 लाख रूपये का चैक, 60 हजार रूपये नगद एवं 50 ग्राम स्वर्ण आभूषण लेकर आपसी राजीनामा के तहत पुश्तैनी सम्पत्ति में अपना सम्पूर्ण हक मानकर लेना आवेदिका ने स्वीकार किया है।
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 प्रकरण में आवेदिका ने अपनी मर्जी से विवाह किया था। उस दौरान परिवार में सम्मिलित नहीं होने के कारण उसे सम्पत्ति में हक नहीं दिया गया था। बाद में आवेदिका के पिता ने आवेदिका को हक देने की बात कही थी। इसी से संबंधित आवेदन आयोग में प्रस्तुत किया गया था। दोनों पक्षों को सुनने के बाद आयोग द्वारा दी गई समझाइश को स्वीकार किया और एकमुश्त 11 लाख रूपये का 4 चैक के माध्यम से तथा 60 हजार रूपये नगद एंव 50 ग्राम सोने के एवज में आवेदिका अपने पिता के संयुक्त परिवार की सम्पत्ति में अपना समस्त हिस्सा और हक त्याग करने के लिये इसी शर्त पर राजी हुई।
आवेदिका और उसकी संतान भविष्य में किसी भी तरह से अपने पिता की सम्पत्ति में हक दावा नहीं करने की सहमति प्रदान की है। इस तरह प्रकरण नस्तीबद्ध किया गया।
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              एक अन्य प्रकरण में आवेदिका ने बताया कि वह अभी अनावेदक पति के साथ रह रही है। उसके बच्चों के भरण पोषण भी दे रहे है। आवेदिका ने अपने प्रकरण को 6 माह के निगरानी में रखने के लिए आयोग से निवेदन किया इसके साथ ही अनावेदिका दूसरी महिला जिसको पिछले सुनवाई में नारी निकेतन भेजा गया था वह अभी नारी निकेतन में है। अनावेदिका के परिवार के ओर से कोई भी सदस्य आयोग के समक्ष में अब तक शपथ पत्र प्रस्तुत नही किए हैं। उसे अभी नारी निकेतन में ही रखे जाने के निर्देश देते हुए इस प्रकरण को 6 माह की निगरानी के साथ प्रकरण को नस्तीबद्ध किया गया।
इसी तरह एक अन्य प्रकरण में अनावेदकगण के द्वारा तहसीलदार महासमुंद के दस्तावेज एवं आवेदिका ने पटवारी का दस्तावेज आयोग के समक्ष प्रस्तुत किये। अनावेदकगणों ने बताया कि उसके पिता की 60 से 65 एकड़ जमीन थी, जिसमें 6 बेटे और 2 बेटी हिस्सेदार थे। हर भाई के हिस्से में 10-10 एकड़ जमीन मिला था। आवेदिका के पति को भी 10 एकड़ जमीन मिला था जिसे आवेदिका ने स्वीकार किया।
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आवेदिका का कहना है कि मकान में भी उसका हक था जिसे अनावेदकगण ने तोड़ दिया है। एक अन्य अनावेदक का कहना है कि वह मकान उनके हिस्से का था जो खण्डहर हो रहा था उसे बनाने के लिये तोड़ा था। इस पर आवेदिका ने कहा कि उसी मकान के एक हिस्से में आवेदिका निवास करती थी। दोनों पक्षों के दस्तावेज को देखने से यह स्पष्ट होता है कि यह दीवानी न्यायालय के क्षेत्राधिकार का विषय है जिसमें दोनों को अपने प्रकरण को साबित करना होगा और राजस्व विभाग से इसकी जांच भी दीवानी न्यायालय द्वारा कराया जा सकता है। यह प्रकरण महिला आयोग के क्षेत्राधिकार से बाहर हो जाने से नस्तीबद्ध किया गया।
 मंगलवार को जनसुनवाई में 5 प्रकरण में सभी पक्षकार उपस्थित हुए है तथा 3 प्रकरण को नस्तीबद्ध किया गया शेष अन्य प्रकरण को आगामी सुनवाई में रखा गया।

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