छत्तीसगढ़

छातामुड़ा में कोटवार जमीन की अवैध खरीद-फरोख्त के मामले में राजस्व विभाग ने लिया संज्ञान, मौके पर पहुंचकर की जांच पड़ताल…

रायगढ़। छातामुड़ा में कोटवार भूमि की अवैध खरीद फरोख्त के मामले में खबर प्रकाशित करने के बाद राजस्व विभाग ने मामले को संज्ञान में लिया है, तथा पुसौर तहसीलदार के आदेश पर पटवारी और आर आई द्वारा मौके पर पहुंचकर मामले की जांच पड़ताल की गई, जांच में शासकीय भूमि पर मकान निर्माण होना पाया गया है।
बता दें कि भू माफियाओ द्वारा छातामुड़ा के कोटवारी भूमि की खरीद फरोख्त इन दिनों धड़ल्ले से चल रहा है, भूमि दलालों द्वारा उक्त शासकीय भूमि को कौड़ियों के मोल खरीद कर महंगे दामों पर टुकड़े-टुकड़े में बेचने का सिलसिला जारी है। जमीन दलालों द्वारा कोटवार भूमि को निजी कब्जे की भूमि बताकर क्रेताओं को गुमराह कर बेचा जा रहा है।
गरीब परिवार आशियाने की आस में भु माफियाओ के हाथो धोखाधड़ी का शिकार हो रहे है। तथा उक्त शासकीय भूमि पर लगभग 30 से अधिक परिवारों ने आशियाना भी बना लिया है। जबकि कुछ माह पहले तहसील कार्यालय पुसौर में शिकायत भी हुई थी। तथा मामले की शिकायत के बाद तहसील न्यायालय द्वारा निर्माण कार्य पर स्थगन आदेश दिया गया था।
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कार्रवाई ना होने से भूमि दलालों के हौसले और भी बुलंद होते चले गए और स्थगन आदेश के बावजूद भू माफियाओं द्वारा कोटवार भूमि के खरीद-फरोख्त का सिलसिला बदस्तूर जारी रखा। जहां एक ओर रसूखदार भू माफियाओ ने कौड़ियों के मोल पर जमीन खरीद कर महंगे दामों में बेचकर अपनी तिजोरियां भर रहे हैं, वही दूसरी ओर गरीब तबके के लोग जो खुद के आशियाने का सपना सजोकर अपने बरसों की खून पसीने की गाढ़ी कमाई को लुटा बैठे हैं।
गौरतलब हो कि कोटवार भूमि की अवैध खरीदी बिक्री की खबर को प्रमुखता से प्रकाशित की गई। तथा जिम्मेदार राजस्व विभाग को भी अवगत कराने पर राजस्व विभाग पुसौर ने मामले की गंभीरता को तत्काल संज्ञान में लेकर पटवारी एवं आर आई को जांच के आदेश दिए है‌। राजस्व की टीम द्वारा मौके पर जाकर जांच पड़ताल की गई जिसमें शासकीय भूमि पर कई लोगों द्वारा मकान बनाकर कब्ज़ा करना पाया गया है। तथा कोटवार द्वारा स्टाम्प में लिखा पढ़ी कर शासकीय भूमि की अवैध बिक्री की गई है। अब यह देखना लाजिमी होगा कि जांच टीम के द्वारा जांच रिपोर्ट सौंपने के बाद किस प्रकार की कार्रवाई की जावेगी।
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क्या कहते हैं पुसौर तहसीलदार…
राजस्व विभाग पुसौर के तहसीलदार से इस संबंध में चर्चा करने पर उन्होंने कहा कि कोटवार भूमि के अवैध खरीद-फरोख्त के मामले में जांच के आदेश दिए गए हैं। जांच प्रतिवेदन आने के बाद अवैध कब्जा धारियों को बेदखली की कार्यवाही की जावेगी। तथा छातामुड़ा वर्तमान में नगर पालिक निगम में शामिल हो चुका है, और शहरी क्षेत्रों में कोटवार की भूमिका नहीं होती इसलिए जल्द ही छतामुड़ा के कोटवार पद को शून्य किया जायेगा। और कोटवार भूमि को शासकीय मद में दर्ज की जाएगी। शासकीय मद में दर्ज करने के बाद अगर कब्जाधारी शासकीय भूमि को लेना चाहते हैं, तो उन्हें शासन के निर्देशानुसार 152 परसेंट स्कीम के तहत राशि वसूल कर जमीन दी जावेगी।

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