गुप्तचर विशेषछत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ की एक ऐसी अनोखी गुफा, जहां चट्टानों पर नजर आती है शंख नारियल और बिल्व पत्र जैसी आकृतियां

इस गुफा में 12 महीने पानी भरा रहता है और नीचे उतरते समय भूल भुलैया जैसा प्रतीत होता है। 12 महीने पानी भरे रहने के कारण यहां दलदली से हो जाती है। इसीलिए यहां बिना किसी सुरक्षा उपकरण के जाना खतरनाक साबित हो सकता है।यह गुफा सबसे खूबसूरत गुफा मानी जाती है इसे छत्तीसगढ़ के पर्यटन में काफी महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। गुस्सा से जुड़ी बातें

बात की जाए यदि छत्तीसगढ़ पर्यटन की तो यहां कई ऐसी जगह हैं जिनमें ढेरों रहस्य छुपे हैं और लोगों की विशेष मान्यताएं और लोक कथाएं भी इनसे जुड़ी हैं। ऐसा ही एक पर्यटन स्थल है देवसरा का दतराम गुफा।

पंडारिया के देवसरा में यूं तो अनेक गुफाएं है परंतु देवचरा इन पहाड़ों से घिरा गांव है जहां वन्य सौंदर्य देखते ही बनता है जहां एक तरफ यहां मनोरम जंगल है वही सुंदर गुफाओं की भी कोई कमी नहीं है। ऐसी ही एक गुफा दतराम गुफा है जो दूसरी गुफाओं की अपेक्षा का विशेष है।यह गुफा देवसरा की वीरान पहाड़ी पर स्थित है। माना जाता है की यह लाखो वर्ष पुराना है।

इस गुफा में 12 महीने पानी भरा रहता है और नीचे उतरते समय भूल भुलैया जैसा प्रतीत होता है। 12 महीने पानी भरे रहने के कारण यहां दलदली से हो जाती है। इसीलिए यहां बिना किसी सुरक्षा उपकरण के जाना खतरनाक साबित हो सकता है।

यह गुफा सबसे खूबसूरत गुफा मानी जाती है इसे छत्तीसगढ़ के पर्यटन में काफी महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है।

गुस्सा से जुड़ी बातें

दतराम गुफा सुंदर तो है ही पर इसकी सबसे विशेष बात यह है कि यहां पर बनी हुई कलाकृतियो में अलग-अलग संरचनाएं देखने को मिलती है जिसमें नर कंकाल, शिवलिंग, शंख,बिल्वपत्र ,अनेक पुष्प ,गणेश जी जैसी आकृतियां शामिल है यह गुफा लाखो वर्ष पुरानी बताई जाती है जहां बहुत से शोध कार्य किए जा सकते हैं।

क्यों है इतनी खास दतराम गुफा

पंडरिया के इतिहासकार व शोधकर्ता राजेश श्रीवास्तव ने बताया कि उक्त गुफा में चूने पत्थर के रिसाव से लाखों वर्षो में बनने वाले स्टेलेक्टाइट, स्टेलेगमाइट और ग्रेफ री की अत्यंत सुंदर व मनमोहक संरचनाएं बनी हुई है। भूगर्भ शास्त्री बताते हैं कि ऐसे निर्माण में लाखों वर्ष लगते हैं।

यहां बीस वर्ष पूर्व नगर से गए कालेज के प्राध्यापकों और संस्कृति मंडल के सदस्यों ने उस गुफा का विस्तृत मुआयना किया। फोटोग्राफ्स लिए, नमूने जुटाए और सम्बन्धित विभाग को भेजा। रायपुर साइंस कॉलेज के भूगर्भ शास्त्र के विशेषज्ञों की टीम आई।

उन्होंने इस स्थान को अद्भुत बताया। उन्होंने कहा कि सम्भवत: छत्तीसगढ़ में ऐसी संरचना अन्यत्र कहीं नहीं है।

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