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निर्माण कार्य पूरा हुए बिना राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा किए जाने के सवाल पर वीएचपी ने दिया ये जवाब

विश्व हिंदू परिषद यानी वीएचपी ने सोमनाथ मंदिर का उदाहरण याद करने की सलाह दी है. वीएचपी के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा है कि हिंदू धार्मिक विधियों में मंदिर पूरा होने के बाद ही भगवान विराजमान होंगे, ऐसा कोई नियम नहीं है.

भारत के दो शंकराचार्यों समेत कई विपक्षी नेताओं ने अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण कार्य पूरा हुए बिना प्राण प्रतिष्ठा किए जाने की आलोचना की है. अब ऐसी आलोचनाओं पर विश्व हिंदू परिषद यानी वीएचपी ने सोमनाथ मंदिर का उदाहरण याद करने की सलाह दी है.
वीएचपी के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा है कि हिंदू धार्मिक विधियों में मंदिर पूरा होने के बाद ही भगवान विराजमान होंगे, ऐसा कोई नियम नहीं है.

उन्होंने कहा कि बड़े बड़े मंदिरों को बनने में बहुत लंबा समय लगता है, इतने लंबे समय तक भगवान कहां रहें, तो गर्भगृह का निर्माण करने के बाद भगवान को विराजमान कर दिया जाता है.

उन्होंने सोमनाथ मंदिर में तत्कालीन राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद के हाथों हुए प्राण-प्रतिष्ठा समारोह (11 मई, 1951) का उदाहरण पेश किया. आलोक कुमार ने आलोचकों से कहा, “जवाहरलाल नेहरू की अध्यक्षता में कैबिनेट ने सोमनाथ मंदिर के पुनर्निर्माण का फ़ैसला किया था. उस मंदिर का जब गर्भगृह बन गया और बाक़ी मंदिर बनना था, तब राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद के हाथों उस मंदिर में प्राण-प्रतिष्ठा कर दी गई थी. नेहरू के राज में जो हुआ, राष्ट्रपति जी ने जो किया, उसका स्मरण उन्हें करना चाहिए.”

सोमनाथ मंदिर का 1951 में प्राण-प्रतिष्ठा समारोह हो जाने के बाद भी मंदिर का निर्माण चलता रहा. उसके 44 साल बाद मंदिर का निर्माण कार्य पूरा हुआ. राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा 1 दिसंबर, 1995 को उस समारोह में शामिल हुए थे.

इस बीच बुधवार को गर्भगृह की पूजा की गई. समाचार एजेंसी की ओर से जारी एक वीडियो में श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य और निर्मोही अखाड़े के महंत दिनेंद्र दास और पुजारी सुनील दास गर्भगृह की पूजा करते हुए दिख रहे हैं. बाद में पुजारी सुनील दास ने बताया कि अयोध्या का यह मंदिर पूरे ब्रह्मांड की शांति का केंद्र बनेगा.

देखिए विडियों : https://twitter.com/ANI/status/1747553496533283175

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