देवों के देव महादेव के लिए लोगों की आस्था निराली है। महादेव कैलाश पर्वत के साथ साथ भगतों के दिल में भी निवास करते हैं और भगवान सभी के लिए बराबर भी होतें हैं। चाहे वो निर्धन हो या धनवान, पुरुष हो या औरत। हालाँकि समाज में कहीं न कहीं पूजा पाठ की परम्परा या नियम को लेकर मतभेद होता ही आ रहा है। क्योंकि कई बार ये बातें और परम्परा सिर्फ कहने भर के लिए ही रह जाती है।
आपको बता दें की सावन का पवित्र महीना चल रहा है। ऐसे में महिला हो या पुरुष हर कोई शिव जी की पूजा आस्था और भगती से करने जाते हैं। ऐसे में शिवलिंग की पूजा से जुड़ी एक मान्यता यह है वो हम आपको बताते हैं जब भी महिलायें खासतौर से कुंवारी कन्या अगर पूजा के लिए जाती है तो उन्हें शिवलिंग को हाथ नहीं लगाना चाहिए। जहाँ तक हो सके शिवलिंग की पूजा का ख्याल करना भी उनके लिए निषेध है। आखिर महिलाओं के लिए शिवलिंग की ऐसी मान्यता क्यों है आज हम आपको बताते हैं……
ऐसा माना जाता है कि लिंगम एक साथ योनि (जो देवी शक्ति का प्रतीक है एवं महिला की
रचनात्मक ऊर्जा है) उसका प्रतिनिधित्व करता है। इसीलिए स्त्री को शिवलिंग के करीब जाने की भी अनुमति नहीं होती है। ऐसा इसलिए कहा जाता है कि महादेव बेहद गंभीर तपस्या में लीन रहते हैं। इसीलिए महादेव की तंद्रा भंग न हो जाए इस कारण महिलाओं का शिवलिंग को हाथ लगाना और पूजा करना वर्जित माना गया है। कयोंकि जब शिव की तंद्रा भंग होगी तो वे क्रोधित हो उठेंगे और पूजा करने वाले का इस पर विपरीत असर भी हो सकता है।
इसके अलावा औरतों का शिवलिंग को छूना मां पार्वती को बिलकुल पसंद नहीं है। माता पार्वती भी महिलाओं के शिवलिंग को छूकर पूजा करने से क्रोधित हो सकती हैं और शिवलिंग की पूजा करने वाली औरतों पर इस तरह की गई पूजा का विपरीत असर हो सकता है। महिलाओं को शिव की पूजा हमेशा मूर्ति रूप में करनी चाहिए। खासतौर से पूरे शिव परिवार की पूजा उनके लिए विशेष लाभकारी है और इससे भगतों को अच्छा फल की प्राप्ति हो सकती है।