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World Press Freedom Day : आखिर कितनी स्वतंत्र है भारत की मीडिया, महामारी के दौर में घटती प्रेस की आजादी

World Press Freedom Day : यूनेस्को द्वारा 3 मई को मनाए जाने वाले विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस (World Press Freedom Day) के अवसर पर यूनेस्को ने इस बार ‘लोगों के भले के लिए सूचना” की थीम रखी गई है।

 आप को बता दें की प्रेस की स्वतंत्रता (Freedom of Press) को लेकर दुनिया भर में चर्चाएं होती ही रहती है। प्रेस को लोकतंत्र में चौथा स्तंभ का स्थान दिया जाता है।दुनिया के कई देशों में प्रेस यानि अभव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार के प्रतीक को आजादी नहीं हैं और लोगों को सही जानकारी तक पहुंचने का अधिकार से वंचित रखा जाता है।ऐसा अक्सर देश के प्रति खतरे के नाम पर किया जाता है।दुनिया भर में प्रेस की आजादी को सम्मान देने और उसके महत्व को रेखांकित करने के लिए 3 मई को विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस (World Press Freedom Day) मनाया जाता है।

क्या है 2021 का थीम

यूनिस्को ने हर साल की तरह इस साल भी 2021 में विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस की थीम ‘लोगों के अच्छे के लिए सूचना’ (Information as a Public Good) रखी है।जानकारी का लोगों के भले के लिए आनंद लिए जाने के महत्व दिया जाए। पत्रकारिता की विषयवस्तु को मजबूत करने के लिए उसके उत्पान, वितरण और प्राप्ति के क्या किया जा सकता है। साथ ही इसके लिए पारदर्शिता और सशक्तिकरण पर काम होना चाहिए।

क्या है इस दिवस का महत्व

 अंतरराष्ट्रीय पत्रकारिता स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर हर साल तीन मई को यूनेस्को द्वारा ‘गिलेरमो कानो वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम प्राइज’ दिया जाता है, जिसका आरम्भ साल 1997 में हुआ था। यह पुरस्कार प्रेस की स्वतंत्रता के लिए उल्लेखनीय कार्य करने वाले व्यक्ति या फिर उल्लेखनीय कार्य संस्थानों को दिया जाता है।

महामारी में मीडिया

महामारी के बारे में रिपोर्ट करने से रोकने के लिए भारत सरकार ने कई तरह के तरीके अपनाए. सरकार ने इस बात का पुरज़ोर प्रयास किया कि समाचार संस्थाएं केवल सरकारी आंकड़ों को ही प्रकाशित करें.

पिछले वर्ष 31 मार्च को सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया था कि वह समाचार संस्थाओं को निर्देश दे कि वे कोविड के बारे में उन आँकड़ों को प्रकाशित न करें जिन्हें सरकार ने जारी नहीं किया हो, मगर न्यायालय ने सरकार के इस अनुरोध को ठुकरा दिया.

अधिकांश पत्रकारों की गिरफ्तारी और उनके खिलाफ केस इसलिए हुए क्योंकि उन्होंने स्थानीय स्तर पर कोरोना वायरस से निपटने के लिए उठाए गए कदमों की नाकामी और स्थानीय अधिकारियों की कमियों को छिपाने की कोशिशों को उजागर किया था.

मिसाल के तौर पर हिमाचल प्रदेश में छह पत्रकारों के खिलाफ 10 मामले इसलिए दर्ज किए गए क्योंकि उन्होंने राज्य सरकार की अचानक तालाबंदी के कारण फंसे हुए प्रवासी कामगारों के बीच फैल रही भुखमरी, और स्थानीय प्रशासन की खामियों के बारे में समाचार प्रकाशित किए.

एक रिपोर्ट के अनुसार, कुछ पत्रकारों के खिलाफ केस तब दर्ज किए गए जब स्थानीय नेताओं और इन पत्रकारों के बीच रिपोर्टिंग तो लेकर विवाद हो गया.

इन सब के बीच एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने पुलिस की कार्रवाई की निंदा की और प्रदेश की सरकारों से प्रेस को परेशान करने के लिए कानूनी साधनों का उपयोग बंद करने का आग्रह किया.

कोविड से जुड़े समाचार पर नियंत्रण करने की कोशिश के अलावा भारत में केंद्र और प्रदेश की सरकारों ने जो और कदम उठाए हैं उनको लेकर भी पत्रकार बिरादरी में चिंता है.

एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया के अनुसार जनवरी 2021 में पत्रकारों पर 15 से अधिक हमले हुए और यह सभी हमले तब हुए जब पत्रकार कोरोना संक्रमण के दौर में ही चल रहे किसान आंदोलन कवर करने गए थे.

भारत में नए नियम

दो माह पहले, भारत सरकार ने आइटी एक्ट 2000 के तहत इनफार्मेशन टेकनोलॉजी (गाइडलाइंस फॉर इंटरमीडिएटीएस एंड डिजिटल मीडिया एथिक्स कोड) रूल्स 2021 जारी किये हैं.

पत्रकारिता से जुड़े लोगों का मानना है कि ये नियम देश में प्रेस की स्वतंत्रता को न केवल कमजोर करेंगे साथ ही, समाचार संगठनों पर भारी वित्तीय और कानूनी बोझ डालेंगे, जिसे छोटे और मध्यम स्तर के समाचार संगठन नहीं उठा सकेंगे.

नए नियमों के अनुसार हर मीडिया संगठन को एक अनुपालन अधिकारी (कम्पलायंस ऑफ़िसर) की नियुक्ति करनी होगी जो पाठकों की हर शिकायत का 15 दिन में जवाब देगा.

निर्देशों के अनुसार, मीडिया संगठन मिलकर एक स्व-नियामक समिति या सेल्फ़ रेगुलेटरी बॉडी की स्थापना करेंगे जो पाठकों की शिकायत पर कार्रवाई करेगी. और इन सब के ऊपर भारत सरकार के सचिवों की एक समिति होगी जो कि उस तक पहुंची शिकायतों पर कदम उठाएगी.

समाचार संगठन सरकार के इस नियम से बहुत ही आशंकित हैं और कुछ ने इन नियमों के विरुद्ध दिल्ली और केरल उच्च न्यायालयों में याचिकाएं भी दायर की हैं.

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