करवा चौथ व्रत कर 24 अक्टूबर को रखा जायेगा। कई जगहों पर करवा चौथ के चांद को चौथ का चांद या चौथ का चंद्रमा के नाम से भी जाना जाता है। भारत में महिलाएं चांद देखकर अपना व्रत तोड़ती हैं।
महिलायें पति की दीर्घायु होने, अखंड सौभाग्यवती होने एवं सुखमय वैवाहिक जीवन की पूर्ति की कामना से यह व्रत रखती है। इस व्रत में पूरे दिन निर्जला व्रत रखा जाता है और शाम को चंद्रमा के दर्शन के बाद पूजा करके व्रत का समापन किया जाता है।
कई बार ऐसा भी होता है जब किसी कारणवश चांद नहीं दिख पाता। ऐसे में सवाल उठता है कि व्रत कैसे खोलें। लेकिन पंडितों के अनुसार अगर ऐसी स्थिति बनती है तो भी महिलाएं समय के अनुसार व्रत खोल सकती है और व्रत का जो फल मिलने वाला है वो भी मिलेगा। ऐसे में आज हम आपको इसके कुछ उपाय बताने जा रहे हैं…
3. मान्यता है कि करवा चौथ के दिन अगर चंद्रमा नहीं दिखाई पड़ता तो महिलाएं भगवान शिव के मस्तक पर विराजमान चंद्रमा के दर्शन कर सकती हैं। चंद्रमा की पूजा करके क्षमा याचना करें और व्रत पूर्ण करें।
4. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार गर्भवती, बुजुर्ग और बीमार महिलाएं अगर चंद्रदर्शन नहीं कर पाती हैं तो वे बिना चंद्रदर्शन ही व्रत का पारण कर सकती हैं।
5. कहा जाता है कि चंद्रोदय के समय चांद निकलने की दिशा में मुख करके पूजा करें। मन ही मन मां लक्ष्मी का ध्यान लगाते हुए पति की पूजा के बाद व्रत पारण करें।
द्रिकपंचांग के अनुसार दिन की शुरुआत सुबह स्नान से होती है। महिलाएं सरगी खाती हैं और अपने पति की भलाई के लिए व्रत रखने का संकल्प लेती हैं, जिसे संकल्प कहा जाता है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार, सरगी सास द्वारा दी जाती है और इसमें मिठाई और सूखे मेवे शामिल होते हैं। इसके बाद करवा चौथ पूजा होती है जो पूजा मुहूर्त के दौरान होती है। महिलाएं एक घेरे में बैठकर कथा पढ़ती हैं और अपनी पूजा की थाली का आदान-प्रदान करती हैं और चंद्रोदय के बाद व्रत तोड़ती हैं।