बस्तर में अब पुलिस व प्रशासन के खिलाफ नक्सली अपने नए हथियार “इंटरनेट” का उपयोग करने की तैयारी कर रहे है। यही वजह है कि नक्सली अपने शहीदी सप्ताह के दौरान बैठक कर ग्रामीणों को सरकार के खिलाफ “इंटरनेट” का उपयोग करने की बात कह रहें हैं। नक्सलियों के नए हथियार से कहीं ना कहीं पुलिस व सरकार की परेशानियां बढ़ सकती है।
बीते कुछ समय से नक्सली संगठन नए-नए हथियारों का उपयोग कर सुरक्षाबलों के लिए परेशानियां खड़ी करते रहें हैं। ऐसे में इंटरनेट नक्सलियों की बहुत बड़ी ताकत बन सकती है और नक्सली इसका उपयोग कर कभी भी बड़ी घटना को अंजाम दे सकते हैं। इसके लिए पुलिस प्रशासन और सरकार को सजक रहने की जरूरत है।
सामान्य तौर पर देखा गया है कि नक्सली सुरक्षाबलों के कैंपों के आसपास नहीं भटक पाते, लेकिन कैंप के दायरे में क्या गतिविधियां हो रही हैं वहां कितने लोग और कितने हथियार हैं। आदि की जानकारी लेने के लिए ड्रोन का उपयोग करते हैं। इसकी पुख्ता जानकारी बीते दो साल से मिल रही है। इसी को ध्यान में रखते हुए फोर्स एंट्री ड्रोन सिस्टम तकनीक की तलाश कर रही है।
छत्तीसगढ़ के बस्तर समेत समूचे दंडकारण्य इलाके में नक्सलियों द्वारा उपयोग किए जा रहे ड्रोन फोर्स के लिए एक नई चुनौती बन गए हैं। पुलिस अब उनके ड्रोन से निपटने के लिए एंटी ड्रोन सिस्टम की तलाश कर रही है। इसके लिए देश व दुनिया की कई कंपनियों से बात चल रही है। एंटी ड्रोन सिस्टम लगाकर सुरक्षाबल नक्सलियों के ड्रोन की वेबलेंग्थ व फ्रीक्वेंसी गड़बड़ कर सकती है। इलेक्ट्रानिक माध्यम से उन्हें जाम कर सकती है और मारकर गिरा भी सकती है। बाजार में हाल के दिनों में इस तरह के एंटी ड्रोन उपकरण आए हैं।