देश के पहले उपराष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिन को हम शिक्षक दिवस के रूप में मनाते हैं। डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म 5 सितंबर 1888 को तत्कालीन मद्रास प्रेसीडेन्सी के चित्तूर जिले में हुआ था।
आईये जानते हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से जुड़े कुछ किस्से
बचपन में पीएम नरेंद्र मोदी को प्राथमिक शिक्षा का ज्ञान देने वाली उनकी शिक्षिका हीराबेन मूलचंद ने वडनगर के स्कूल में उन्हें कक्षा एक से चार तक पढ़ाया है। उन्होंने बताया कि ‘वड़नगर में मेरा घर मोदी के घर के सामने था। आज मोदी देश के प्रधानमंत्री हैं, किंतु अब भी उनके परिवार के साथ वैसे ही रिश्ते हैं। हीराबेन ने बताया कि मुझे इस बात पर सबसे ज्यादा गर्व है कि मेरी क्लास में पढ़ने वाले नरेंद्र भाई मोदी आज देश के प्रधानमंत्री हैं। हीराबेन मोदी के बचपन का एक किस्सा बताती हैं कि कैसे मोदी रोजाना शाम को महादेव की आरती कर अपने माता-पिता को प्रणाम किया करते थे।
प्राथमिक शिक्षा लेने के बाद नरेंद्र मोदी ने गांव के ही बीएम हाईस्कूल में एडमिशन ले लिया था। वडनगर में ही रहने वाले सेवानिवृत्त शिक्षक प्रहलाद भाई पटेल ने बताया कि उन्होंने नरेंद्र मोदी को बीएन हाईस्कूल में नौवीं से 11वीं तक मतलब करीब तीन साल पढ़ाया है। जब उनसे उन दिनों के बारे में पूछा गया तो उन्होंने बताया कि ‘मोदी हमेशा संस्कृत और गुजराती पढ़ने के लिए उत्सुक रहते थे। बाकी छात्रों की तुलना में वे हमेशा संस्कृत और गुजराती भाषा से जुड़े सवाल करते थे।’
प्रहलाद भाई ने आगे बताया कि नरेंद्र मोदी की एक खास बात थी वो यह थी कि वे हर स्पर्धा में हिस्सा लेने की कोशिश किया करते थे। हमेशा भाग लेने वाले दो स्टूडेंट थे- एक नरेंद्र मोदी और दूसरी रंजना पारीख, जो वर्तमान में बॉम्बे हाईकोर्ट में नामी वकील हैं। स्कूल में आयोजित एक नाटक को याद करते हुए प्रहलाद भाई ने बताया कि ‘मुझे आज भी याद है कि एक नाटक में जोगीदास खुमान की भूमिका निभाने के लिए नरेंद्र भाई जिद पर अड़ गए। फिर आखिर में जोगीदास खुमान का रोल उन्होंने किया। इस नाटक में मोदी ने हाथों में तलवार लेकर बहुत जोरदार भूमिका निभाई थी, जिसकी जमकर तारीफ की गई थी।’
बता दें कि वडनगर के स्कूल में प्रधानमंत्री मोदी को पढ़ाने वाले शिक्षक सोमाभाई पटेल अब बहुत बूढ़े हो गए हैं। सोमाभाई पटेल याददाश्त पर जोर देकर बताते हैं कि ‘पढ़ाई के साथ जब भी देशभक्ति के गीत गाने की बात होती या फिर आजादी से जुड़े प्रसंगों के बारे में कोई बात होती थी, नरेंद्र मोदी उसे बहुत ध्यान से सुनते और आत्मसात करते थे। उस समय, मैंने वडनगर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक की एक शाखा भी शुरू की थी। नरेंद्र मोदी तुरंत उसमें शामिल हो गए थे। यहां भी कई कार्यों में उनकी भूमिका बहुत महत्वपूर्ण रहा करती थी।’
सोमाभाई पटेल कहते हैं कि ‘2005 में नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे। उस समय उन्होंने उन शिक्षकों को सम्मानित करने के लिए एक कार्यक्रम आयोजित किया था, जिन्होंने उनके जीवन को आकार दिया। कार्यक्रम में उन्होंने मेरे और सभी शिक्षकों का सम्मान कर आशीर्वाद भी लिया था। इतना ही नहीं, जब मेरी जीवनी पर आधारित एक किताब आई तो नरेंद्र मोदी ने मुझे बधाई पत्र भी भेजी।’
सोमाभाई ने भावुक होते हुए बताया कि मैंने सपने में भी नहीं सोचा था कि जिस छात्र को मैं पढ़ा रहा हूं, वह एक दिन देश का प्रधानमंत्री बनेगा। जानकारी के मुताबिक, सोमाभाई पटेल रिटायरमेंट के बाद सामाजिक जीवन से जुड़े हुए हैं और अभी झुग्गी-झोपड़ी में रह रहे बच्चों को शिक्षा देते हैं।