गरियाबंद । एक तरफ़ प्रदेश भयंकर कोरोना महामारी से जूझ रहा है वहीं गरियाबंद से एक हैरतंगेज मामला सामने आया है जहां प्रशासन ने नाबालिग के विवाह को रुकवाया है। दरअसल जगरानी एक्का , जिला कार्यक्रम अधिकारी, महिला एवं बाल विकास विभाग के मार्गदर्शन व जिला बाल संरक्षण अधिकारी अनिल द्विवेदी के निगरानी में जिला बाल संरक्षण इकाई गरियाबंद से फनीन्द्र जयसवाल संरक्षण अधिकारी गोपाल सिंग कंवर सामाजिक कार्यकर्ता और थाना पांडुका पुलिस की संयुक्त टीम द्वारा ग्राम दीवाना में होने वाला बाल विवाह का जायजा लेते हुए विवाह को रुकवाया गया।
दूरभाष से प्राप्त सूचना अनुसार ग्राम दीवना थाना पांडुका विकास खंड छुरा जिला गरियाबंद ( छ.ग. ) में 21 मार्च 2021 रामनवमी के अवसर में बालक का विवाह होना तय हो गया है l किंतु बालक की आयु विवाह तिथि को 21 वर्ष पूर्ण नही हो रही है l तत्काल संयुक्त टीम द्वारा दिनांक 17 मार्च 2021 को बाल विवाह स्थल पर पहुंच कर बालक के आयु संबंधी दस्तावेज कक्षा 8 वी के अंक सूची से सत्यापन किया गया ।
आयु संबंधी दस्तावेज अनुसार बालक की आयु 20 वर्ष होना पाया गया । जबकि विवाह के लिये बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 के अनुसार बालिका की आयु 18 वर्ष एवं बालक की आयु 21 वर्ष पूर्ण होना चाहिये । निर्धारित आयु से कम आयु में महिला / पुरुष का विवाह करने या करवाने की स्थिति में सम्मिलित व सहयोगी सभी लोग अपराध की श्रेणी में आते हैं। जिन्हें 02 वर्ष तक का कठोर कारावास एवं 01 लाख रूपये तक का जुर्माना अथवा दोनों से दण्डित किया जा सकता है । जिला बाल संरक्षण इकाई टीम द्वारा अग्रिम कार्यवाही करते हुए बालक उसके माता पिता व परिवार वालों एवं ग्रामीण जनों को समझाईस दी कि बालक की आयु 21 वर्ष पूर्ण होने पश्चात् ही विवाह करें । सभी लोग बाल विवाह रोकथाम टीम की समझाईस पर सहमति जताई ।
Back to top button