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आपातकाल की 46वीं बरसी: क्यों लगाया गया था देश में ‘आपातकाल’? ऐसा क्या हुआ था 25 जून 1975 के दिन जिसे याद कर भावुक हुए PM मोदी

नई दिल्ली।आज आपातकाल की 46वीं बरसी हैं| केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने एक के बाद एक ट्वीट कर कहा कि वर्ष 1975 में आज ही के दिन कांग्रेस ने सत्ता के स्वार्थ व अंहकार में देश पर आपातकाल थोपकर विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र की हत्या कर दी थी। उन्होंने कहा, असंख्य सत्याग्रहियों को रातों रात जेल की कालकोठरी में कैद कर प्रेस पर ताले जड़ दिए।
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नागरिकों के मौलिक अधिकार छीनकर संसद व न्यायालय को मूकदर्शक बना दिया। वरिष्ठ भाजपा नेता ने कहा कि एक परिवार के विरोध में उठने वाले स्वरों को कुचलने के लिए थोपा गया आपातकाल आजाद भारत के इतिहास का एक काला अध्याय है। उन्होंने कहा, 21 महीनों तक निर्दयी शासन की क्रूर यातनाएं सहते हुए देश के संविधान व लोकतंत्र की रक्षा के लिए निरंतर संघर्ष करने वाले सभी देशवासियों के त्याग व बलिदान को नमन।
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में आपातकाल एक ‘काला अध्याय’ है, जिसे कभी नहीं भुलाया जा सकता| पीएम मोदी ने ट्वीट कर कहा, “1975 से 1977 की अवधि में जो विनाश देखा गया, उसे कभी नहीं भुलाया जा सकता, किस तरह हमारी लोकतांत्रिक भावनाओं को कुचला गया था| हम उन सभी महानुभावों को याद करते हैं जिन्होंने आपातकाल का विरोध किया और भारतीय लोकतंत्र की रक्षा की|”
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उन्होंने आगे कहा, “आइए हम भारत की लोकतांत्रिक भावना को मजबूत करने के लिए हर संभव प्रयास करने का संकल्प लें, और हमारे संविधान के मूल्यों पर खरा उतरें|”
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वहीं भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा ने कहा कि वर्ष 1975 में आज ही के दिन कांग्रेस ने राजनीतिक स्वार्थों के लिए आपातकाल की घोषणा की थी जो भारत के महान लोकतंत्र पर काला धब्बा है। उन्होंने कहा, मैं उन सभी सत्याग्रहियों को नमन करता हूं, जिन्होंने भीषण यातनाएं सहने के बाद भी आपातकाल का विरोध किया, और लोकतांत्रिक मूल्यों की आस्था को संजोकर रखा।
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25 जून 1975 – आपातकाल

25 जून 1975 में तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद ने देशभर में आपातकाल लगाने का आदेश तात्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की सिफारिश पर दिया था, जिसने कई ऐतिहासिक घटनाओं को जन्म दिया| इस आपातकाल को लेकर इंदिरा गांधी की तरफ से ये दलीलें दी गई थीं कि आपातकाल लगाना जरूरी है, लेकिन पर्दे के पीछे की कहानी कुछ और ही थी| विपक्ष के बढ़ते दबाव के बीच इंदिरा गांधी ने 25 जून 1975 की आधी रात को तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद से इमरजेंसी के घोषणा पत्र पर दस्तखत करा लिए थे, जिसके बाद पूरा देश इंदिरा गांधी और संजय गांधी का बंधक बना दिया गया था|
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इंदिरा गांधी के बेटे संजय गांधी के नेतृत्व में बड़े पैमाने पर पुरुष नसबंदी अभियान भी चलाया गया था| कई वरिष्ठ पत्रकारों को जेल भेज दिया गया| बाद में अखबार तो फिर छपने लगे, लेकिन उनमें क्या छापा जा रहा है, ये पहले सरकार को बताना पड़ता था| भारतीय राजनीति के इतिहास में यह सबसे विवादस्पद काल रहा, क्योंकि इस दौरान नागरिक अधिकारों को खत्म करते हुए सरकार के खिलाफ आवाज उठाने वाले हर शख्स को जेल में डाल दिया गया था|
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देश में आपातकाल लगते ही इंदिरा के कड़े विरोधी माने जा रहे जयप्रकाश नारायण को 26 जून की रात डेढ़ बजे गिरफ्तार कर लिया गया था, जिनके साथ इंदिरा गांधी की नीतियों का विरोध करने वाले और नेताओं को भी गिरफ्तार कर देशभर की कई जेलों में डाल दिया गया था| आपातकाल 25 जून 1975 से 21 मार्च 1977 तक की 21 महीने की अवधि तक लगाया गया था| 21 महीने में 11 लाख लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था और 21 मार्च 1977 को इमरजेंसी खत्म करने की घोषणा की गई थी|

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