हम सब जानते हैं कि फसलों में अच्छी पैदावार के लिए सबसे जरूरी होते हैं सारे पोषक तत्व। किसी भी फसल के विकास और उसकी अच्छी पैदावार के लिए पोषक तत्व बहुत जरूरी होते हैं। अगर इनकी मौजूदगी नहीं होती तो किसान की मेहनत और उसकी लागत पर पूरी तरीके से पानी फिर जाता है।
भारत देश के कई हिस्सों में बहुत अच्छी और उपजाऊ मिट्टी है,किंतु यहां कई ऐसे भी जगह हैं जहां पर खेतों में अब पहले जैसी बात नहीं रही। वैसे तो आमतौर पर किसान फसल न ठीक होने पर यूरिया और डीएपी के ही भरोसे रहते हैं, किंतु ऐसा करना ठीक नहीं है। इसके लिए आप या तो स्वायल टेस्टिंग करवाइए और यह पता करिए कि खेत में किस खनिज तत्व की कमी है। फिर पौधों में जिसकी खनिज तत्त्व की कमी होती है उसका इस्तेमाल करें।
वहीं यदि आप ऐसा नहीं कर पाते तो पौधों में उनके लक्षण पहचानकर भी यह जान सकते हैं कि किस फसल में कौन से खनिज तत्व की कमी हो रही है। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) पूसा के पादप कार्यकी संभाग ने किसानों की सहूलियत के लिए इसके बारे में विस्तार से जानकारी दी है।
संभाग ने बताया है कि पौधों में नाइट्रोजन (Nitrogen), फॉस्फोरस, पोटैशियम, मैग्नीशियम, कैल्शियम (Calcium), सल्फर, आयरन, मैंगनीज, जिंक, बोरान, तांबा और मोलीब्डेनम की कमी के क्या लक्षण हैं। साथ ही संस्थान के वैज्ञानिकों ने इस समस्या का निदान भी बताया है।तो चलिए आज हम विस्तार से जानते हैं कि फसलों में खनिज तत्वों की कमी के क्या लक्षण होते हैं।
पौधों में नाइट्रोजन की कमी कैसे पहचानें
-प्रारंभिक लक्षण पुराने पत्तों में दिखते हैं।
-क्लोरोफिल विघटन के कारण पत्तियों में पीलापन, धीमी वृधि, कम पत्तियां, छोटे पौधे।
-कम प्रोटीन का निर्माण एवं फसल का शीघ्र पक्कन।
-कम कल्ले (टिलर) एवं पैदावार में कमी।
समाधान: पतियों पर 1-2 प्रतिशत यूरिया का छिड़काव करें।
फॉस्फोरस की कमी के ये हैं लक्षण
-गहरे हरे या नीले-हरे पत्ते, पत्तियां न्यून कोण पर होती हैं।
-लाल बैगनी या भूरेरंग के पत्ते जिनमें एन्थोसाइनिन अधिक होता है।
-छोटे पौधे एवं कल्लों में कमी।
-दीर्घ प्रसुप्तिकाल एवं शीघ्र जीर्णता
-फूलों एवं कलियों की संख्या में कमी
समाधान: पत्तियों पर 2 प्रतिशत डाई-अमोनियम फॉस्फेट का छिड़काव।
पौधों में पोटेशियम की कमी को ऐसे पहचाने
-कमी के लक्षण पुराने पत्तों में पहले दिखते हैं।
-पीलापन/झुलसना पत्तियों की परिधि में होता है।
-कमजोर तने एवं कम वृद्धि।
-रोग सहिष्णुता में कमी, कम विकसित जड़ें।
-छोटे एवं सिकुड़े बीज, कम पैदावार।
समाधान: पत्तियों पर 1 प्रतिशत पोटेशियम क्लोराइड का छिड़काव
ये हैं पौधों में मैग्नीशियम की कमी के लक्षण
-शुरुआती लक्षण पुराने पत्तों पर आते हैं।
-पत्तियों का मुड़ना एवं पीलापन पत्तियों के अगले भाग से शुरू होकर बीच की ओर बढ़ता है।
-हालांकि, वाहिकाएं (विन्स) हरी बनी रहती हैं।
-अग्रिम अवस्था में ऊपरी पत्तियों में झुलसाव रूपी धब्बों का बनना।
समाधान: पत्तियों पर 0.5 प्रतिशत मैग्नीशियम सल्फेट एवं 1 प्रतिशत यूरिया का छिड़काव।
कैल्शियम की कमी को ऐसे पहचानें
-नई पत्तियों का असामान्य आकार एवं विकृति।
-पत्तियों की नोंक (अग्रभाग) का मुड़ना।
-जड़ों की कम लंबाई, गुच्छेदार एवं भूरापन।
-पत्तियों में पीलापन परिधि में होता है तथा नई पत्तियों में झुलसाव।
समाधान: पत्तियों पर 0.5 प्रतिशत कैल्शियम नाइट्रेट या कैल्शियम क्लोराइड का छिड़काव।
सल्फर (गंधक) की कमी के ये हैं लक्षण
-इसकी कमी के लक्षण नाइट्रोजन के समान होते हैं।
-लेकिन यह पौधे की ऊपरी नई पत्तियों में दिखते हैं।
-पीलापन एवं छोटे पौधे।
-लेकिन पत्तियों की वाहिकाएं हरी बनी रहती है।
समाधान: पत्तियों पर 0.5 प्रतिशत अमोनियम सल्फेट या वेटेबल सल्फर का छिड़काव।
पौधों में आयरन (लौह) की कमी पर दिखते हैं ये लक्षण
-नई पत्तियों की वाहिकाओं के बीच में पीलापन लेकिन वाहिकाएं हरी बनी रहती हैं।
-पत्तियों के बीच के स्थान पर अजीवित ऊतक
-पत्तियों का झड़ना एवं अपक्व अवस्था में ही सूखना।
-अग्रिम अवस्था में पत्ते कागजी सफेद हो जाते हैं।
समाधान: पत्तियों पर 0.1-0.2 प्रतिशत फेरस सल्फेट का छिड़काव।
मैंगनीज की कमी को ऐसे पहचानें
-प्रारम्भिक लक्षण नए पत्तों में दिखते हैं।
-वाहिकाओं के बीच पीलापन एवं झुलसाव के धब्बे आ जाते हैं।
समाधान: पत्तियों पर 0.05-0.1 प्रतिशत मैंगनीज सल्फेट का छिड़काव
पौधों में जिंक (जस्ता) की कमी के लक्षण
-नई पत्तियों में वाहिकाओं के बीच पीलापन।
-पुरानी पत्तियों में बैगनी एवं झुलसाव के धब्बे दिखाई देते हैं।
-पत्तियों के बीच कम दूरी, कम क्षेत्रफल तथा उनकी परिधि में विकृति या मुड़ाव।
समाधान: पत्तियों पर 0.1-0.2 प्रतिशत जिंक सल्फेट का छिड़काव।
बोरान की कमी को पहचानें ऐसे
-इसकी कमी से पौधे धीमे बढ़ते हैं तथा छोटे रह जाते हैं।
-पत्तियों की नोंक में विकृति।
-अजीवित ऊतक एवं ऊपरी बड्स में विकृति।
-तनों में खालीपन एवं फलों के आकार में विकृति।
-आन्तरिक ऊतकों का ह्यस।
समाधान: पत्तियों पर 0.05 प्रतिशत बोरेक्स का छिड़काव।
पौधों में तांबा की कमी के लक्षणों को देखें
-नई वृद्धि में कमी, पत्ते मुरझाए हुए।
-नीले-हरित पत्ती जो ठीक से नहीं खुल पातीं।
-नई पत्तियों की नोंक एवं परिधि में पीलापन।
-वृद्धि करने वाले अग्र भागों में गुच्छन होने का लक्षण।
समाधान: पत्तियों पर 0.01-0.05 प्रतिशत कॉपर सल्फेट का छिड़काव।
मोलीब्डेनम की कमी पहचानें
-पीली पत्तियां, जो नाइट्रोजन की कमी के लक्षण के समान होती हैं।
-पत्तियों के किनारों पर अधिक पीलापन होता है।
-पत्तियों पर पीले एवं अजीवित धब्बों के लक्षण दिखते हैं।
-पुरानी पत्तियों की वाहिकाओं के बीच में पीलापन।
-गोभी वर्गीय फसलों में विपटेल (चाबुक) के समान लक्षण।
समाधान: पत्तियों पर 0.1 प्रतिशत मोलिब्डेनम का छिडकाव।
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