गुप्तचर विशेषछत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़: प्रदेश में फ़िलहाल 18 + को नहीं मिलेगी वैक्सीन, हाई कोर्ट के इस आदेश के बाद टीकाकरण स्थगित

छत्तीसगढ़। प्रदेशभर में कोरोना वैक्सीनेशन का तीसरा चरण एक मई से राज्य सरकार प्रारंभ किया। लेकिन 18 से 44 आयुवर्ग के लोगों के लिए शुरू किए गए वैक्सीनेशन अभियान पर पांच दिन बाद रोक लग‌ गई है। राज्य सरकार ने इसे छह मई से स्थगित कर दिया है। बुधवार देर रात स्वास्थ्य विभाग ने सभी जिला कलेक्टरों को इससे संबंधित आदेश भी जारी कर दिए।

इसे भी पढ़ें: नशा बना काल: महुआ शराब में मिलाकर पी गए कफ सीरप, 4 की दर्दनाक मौत, परिजनों ने ऐसे किया अंतिम संस्कार

राज्य सरकार ने 18 से 44 वर्ष का वैक्सीनेशन शासन की कमेटी की रिपोर्ट आने तक स्थगित कर दिया है। नीति बनाने के लिए राज्य सरकार ने मुख्य सचिव की अध्यक्षता में सचिवों की एक कमेटी का गठन किया है। यह फैसला वैक्सीनेशन को लेकर बिलासपुर हाईकोर्ट के फैसले के बाद लिया गया।
हाईकोर्ट के दखल के बाद सरकार ने मुख्य सचिव अमिताभ जैन की अध्यक्षता में सचिवों की एक समिति गठित की है, जो हाईकोर्ट के निर्देश के विभिन्न पहलुओं जैसे भेदभाव, संक्रमण फैलने की संभावना और समूह में पात्र व्यक्तियों की संख्या पर विचार करेगी। इसके बाद वैक्सीनेशन फिर शुरू होगा।

इसे भी पढ़ें: गुप्तचर ब्रेकिंग: प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष दीपक कर्मा की कोरोना से मौत, 15 दिन पहले हुए थे संक्रमित

हाईकोर्ट ने की थी कड़ी टिप्पणी

सरकार के टीकाकरण नीति पर हाई कोर्ट ने कड़ी टिप्पणी की थी। हाई कोर्ट ने कहा था, बीमारी अमीर-गरीब को देखकर नहीं आती है। वैक्सीनेशन डब्ल्यूएचओ की गाइडलाइन के अनुसार होना चाहिए। कोर्ट ने यह भी कहा था कि व्यवस्था बनाना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है। साथ ही सरकार ठोस नीति बनाकर शुक्रवार तक पेश करें।
हाईकोर्ट ने बुधवार को कहा कि अंत्योदय, बीपीएल और एपीएल के लिए वैक्सीनेशन अनुपात का निर्धारण राज्य सरकार द्वारा किया जाए। जिला कलेक्टर को दिए गए पत्र में इस बात का उल्लेख है कि राज्य सरकार द्वारा अनुपात का निर्धारण करने में समय लगेगा। अगर, वैक्सीनेशन को जारी रखा जाता है तो यह हाईकोर्ट के आदेश की अवहेलना माना जा सकता है। तब तक वैक्सीनेशन स्थगित रहेगा। मगर, 45 वर्ष से अधिक आयुवर्ग का वैक्सीनेशन जारी रहेगा।

केंद्र की नीति अपनाने विवश- राज्य सरकार

राज्य सरकार ने अपने पत्र में लिखा है कि कोविन पोर्टल पर ऑनसाइट पंजीयन की अनुमति थी, जिसे केंद्र ने 18 से 44 आयुवर्ग के नागरिकों को यह सुविधा वापस ले ली, जो गरीबों के साथ बहुत बड़ा भेदभाव है। इसलिए अत्यंत गरीब लोगों के लिए सरकार को नीति अपनाने पर विवश होना पड़ा।

इसे भी पढ़ें: कोरोना संक्रमित आसाराम की तबीयत बिगड़ी, अस्पताल के ICU में भर्ती

राज्य सरकार के पत्र में इस बात का उल्लेख है कि केंद्र ने राज्य को 18 वर्ष से अधिक आयुवर्ग के नागरिकों का वैक्सीनेशन, स्वयं के बजट पर करने की अनुमति दी, जिसके बाद कंपनियों से 75 लाख वैक्सीन की मांग की गई, मगर कंपनियों ने 30 अप्रैल तक वैक्सीन सप्लाई नहीं की। 30 अप्रैल शाम को कहा गया कि 1 मई को 1.50 लाख वैक्सीन भेज रहे हैं। यही वजह है कि विस्तृत कार्ययोजना नहीं बना सके। 1.50 लाख वैक्सीन सभी आयुवर्ग के लोगों के लिए खोली जाती तो अराजकता मच सकती थी। इसलिए आयुवर्ग के एक विशेष समूह को देना आवश्यक हो गया था।

इसे भी पढ़ें: बस्तर का महुआ पी कर झूमेंगे अंग्रेज, यूरोप में बनेंगी शराब और एनर्जी ड्रिंक

राज्य सरकार के वर्ग विशेष को वैक्सीनेशन के फैसले का पहले दिन से विरोध हो रहा था। वैक्सीनेशन से वंचित रहने वाले बीपीएल और एपीएल वर्ग के लोगों ने इसे अधिकारों का हनन करार दिया था। सोशल मीडिया समेत अन्य मंचों पर जमकर विरोध हुआ।
हाईकोर्ट की मंशा है कि आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के साथ-साथ बाकी सभी को भी टीका लगे, किंतु इस मंशा के विपरीत फरमान निकाल दिया। सरकार ने हाईकोर्ट को जनता के समक्ष खलनायक बनाने की गलत नियत से यह फैसला लिया है।
                    अमित जोगी, प्रदेश अध्यक्ष जकांछ 

Related Articles

Leave a Reply

Back to top button