आज देशभर में गणेश चतुर्थी का त्योहार मनाया जा रहा है। आज से गणेशोत्सव शुरू होगा और 19 सितंबर को अनंत चतुर्दशी पर गणेश विसर्जन किया जाएगा। आज ब्रह्म और रवियोग में गणपति स्थापना होगी। हिंदू धर्म शास्त्रों में वर्णित कथाओं के मुताबिक, भादो माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को चंद्रमा का दर्शन नहीं करना चाहिए। यदि आप गणेश चतुर्थी को चांद का दर्शन कर लिया तो आप पर झूठे आरोप लगेंगे। एक कथा के मुताबिक एक बार भगवान श्रीकृष्ण ने गणेश चतुर्थी को चंद्र दर्शन कर लिया था, तो उन पर स्यामंतक मणि चोरी करने का मिथ्या कलंक लगा था।
पंचांग के अनुसार, भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को गणेश चतुर्थी है और यह 10 सितंबर 2021 को पड़ रही है। इस दिन लोगों को भूल से भी चंद्र दर्शन नहीं करना चाहिए। आइये जानें इसके पीछे की पौराणिक कथा।
चंद्र दर्शन न करने के पीछे की कथा
कथाओं के अनुसार, एक बार भगवान श्रीगणेश जी माता पार्वती के आदेशा का पालन करते हुए। घर के मुख्य द्वार पर अपना पहरा दे रहे थे। तभी वहा भगवान शिव आते है और भीतर जाने लगते है। तभी गणेश भगवान उन्हें मना कर देते है। और उन्हें घर के भीतर जाने नही देते है। तब महादेव गुस्से में आकर भगवान गणेश का सिर धड़ से अलग कर देते है।
इतने में देवी माता पार्वती वहां आ जाती है। और कहने लगती कि यह आपने क्या अनर्थ कर दिया, ये तो पुत्र गणेश हैं। आप इन्हें पुनः जीवित करें। तब भगवान शिव ने गणेश जी को गजानन मुख देकर नया जीवन दिया। इस पर सभी देवता गजानन को अपना आशीर्वाद दे रहे थे,लेकिन चंद्र देव इन्हें देखकर मुस्करा रहे थे।
चंद्रदेव का यह उपहास गणेश जी को अच्छा न लगा और वे क्रोध में आकर चंद्रदेव को हमेशा के लिए काले होने का शाप दे दिया। श्राप के प्रभाव से चंद्र देव की सुंदरता खत्म हो गई और वे काले हो गए। तब चंद्र देव को अपनी गलती का एहसास हुआ और उन्होंने गणेश जी से क्षमा मांगी। तब गणपति ने कहा कि अब आप पूरे माह में केवल एक बार अपनी पूर्ण कलाओं में आ सकेंगे। यही कारण है कि पूर्णिमा के दिन ही चंद्रमा अपनी समस्त कलाओं से युक्त होते हैं।
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