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Bastar Fake Encounter : बीजापुर एडसमेटा नरसंहार की आठ साल बाद आई रिपोर्ट, तीन नाबालिग समेत 9 ग्रामीणों की फर्जी मुठभेड़ में हुई थी हत्या

@AdityaTripathi: बीजापुर जिले के एड़समेटा गांव में आज से ठीक 8 साल पहले सुरक्षाबलों ने निर्दोष आदिवासियों को ढेर कर एकतरफा फायरिंग किए थी। इस घटना में 9 मासूम आदिवासियों समेत 3 नाबालिग की भी हत्या की गई थी। इस कथित एनकाउंटर की जांच कर रहे जस्टिस वीके अग्रवाल ने आयोग को 8 साल बाद अपनी रिपोर्ट सौंपी है, जिसमें इस एनकाउंटर को फर्जी करार दिया गया है।

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इस रिपोर्ट के सामने आने के बादे बस्तर में होने वाली मुठभेड़ों पर कई सवालिया निशान जरूर खड़े हो गए हैं। आपको बता दें कि तब प्रदेश में रमन सिंह के नेतृत्व वाली भाजपा की सरकार थी। पुलिस ने सीआरपीएफ के कोबरा बटालियन के साथ एक मुठभेड़ में 9 आदिवासियों के मारे जाने और उनसे भारी मात्रा में खतरनाक हथियार बरामद होने का दावा किया था।

आयोग ने पुलिस के दावे को बताया फर्जी

इस मुठभेड़ की जांच के लिए बनाए गए जस्टिस वीके अग्रवाल ने आयोग में पुलिस के इस दावे को फर्जी बताया है। आयोग ने अपनी रिपोर्ट में गोलीबारी के दौरान मारे गए कांस्टेबल की मौत को लेकर भी बड़ा खुलासा किया है। आयोग अपनी रिपोर्ट में कहता है कि उनके साथियों ने ही गोली मारकर हत्या की थी,

इसके साथ ही आयोग ने अपनी रिपोर्ट में सुरक्षाबलों को आवश्यक सुरक्षा उपकरण और प्रशिक्षण दिलाए जाने की भी अनुशंसा की गई है। गौरतलब है कि इस रिपोर्ट को प्रदेश के मंत्रिमंडल के सामने पेश किया गया है जिस पर भूपेश सरकार ने कहा है कि विधानसभा के पटल पर इसे पेश करने के बाद आवश्यक कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

Fake encounter : Bijapur Edesmetta massacre Inquiry report after 8 years,9 were killed in Bastar
Fake encounter : Bijapur Edesmetta massacre Inquiry report after 8 years,9 were killed in Bastar

8 साल बाद पेश की गई रिपोर्ट

बीजापुर जिले के गंगापुर थाना के एड़समेटा गांव में हुए इस नरसंहार का पूरे प्रदेश भर में विरोध हुआ था। जिसके बाद सत्ता में काबिज बीजेपी सरकार ने हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त जज वीके अग्रवाल के रूप में एक एकल जांच आयोग का गठन किया था। हालांकि इस आयोग को 6 महीने का समय अपनी रिपोर्ट पेश करने के लिए दिया गया था, लेकिन यह रिपोर्ट अब 8 साल बाद पेश की गई है।

क्या कहती है रिपोर्ट

1. रिपोर्ट कहती है कि यह जांच 8 बिंदुओं पर की गई। प्रस्तुत रिपोर्ट में कहा गया है कि यह घटना दहशत में प्रतिक्रिया और सुरक्षाबलों द्वारा गोलीबारी के कारण हुई थी। इस नरसंहार में मारे गए तीन नाबालिग- करम बुदरू, पुनेम लखू और करम गुड्डू समेत करम जोगा, पुनेम सोनू, करम पांडू, करम मासा, करम सोमलू और बुधराम गांव के आदिवासी थे।

2. मंत्रिमंडल के सामने पेश हुई रिपोर्ट में कहा गया है कि जलती हुई आग के पास कुछ लोग इकट्ठा थे। यह कोई और नहीं बल्कि मासूम ग्रामवासी थे। गलती से इन्हें नक्सली संगठन का सदस्य समझकर जवानों ने अंधाधुंध गोली चलाना शुरु कर दिया।

मौका-ए-वारदात से हासिल हुए सबूतों से यह साफ होता है आसपास आदिवासी की सभा बीज पंडू उत्सव के लिए थी। यह रिपोर्ट इस बात की तफ्तीश करती है कि मारे जाने वाले लोगों में कोई भी नक्सली संगठन से जुड़ा हुआ नहीं था।

3. आयोग की रिपोर्ट में यह भी साफ हुआ है कि गोलीबारी में मारे गए कांस्टेबल देव प्रकाश को उसके साथ ही सुरक्षा बलों ने ही गोलियों से भून कर मौत के घाट उतारा था। कांस्टेबल की मौत का कारण सुरक्षा बलों द्वारा की गई क्रॉस फायरिंग बनी थी।

4. आयोग यह भी दलील दे रहा है कि सभी घायलों और मारे गए लोगों के परिजनों को वर्तमान भाजपा की सरकार ने मुआवजे की पेशकश की थी। जबकि राज्य की नीति में मृतक, घायल नक्सलियों या परिजनों को मुआवजा नहीं दिया जाता है। इसे देखकर यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि वर्तमान भाजपा सरकार ने घायल व मृतकों को नक्सली के रूप में स्वीकार नहीं किया था।

5. आयोग की रिपोर्ट ने सुरक्षाबलों की नियत पर भी कई सवालिया निशान खड़े किए हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि सुरक्षा बल ना तो आवश्यक रक्षा उपकरणों से पूरी तरीके से सुसज्जित थे और ना ही इलाके और लोगों के बारे में उन्हें पूरी जानकारी थी। सुरक्षा बलों द्वारा मार्चिंग ऑपरेशन शुरू करने से पहले आवश्यक उचित सावधानी नहीं रखी गई। रिपोर्ट कहती है कि जवानों ने आत्मरक्षा में नहीं बल्कि गलत धारणा और घबराहट की प्रतिक्रिया में इस नरसंहार को अंजाम दिया था।

6. इस नरसंहार के बाद प्रदेश भर में उपजे विरोध को देखते हुए वर्तमान भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने एसआईटी SIT का भी गठन किया था, लेकिन इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में दायर एक याचिका की सुनवाई के दौरान यह तथ्य सामने आया कि 5 साल में एसआईटी ने केवल और केवल 5 लोगों का बयान लिया है।

इसके बाद मई 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने मामले की जांच सीबीआई (CBI) से कराने के निर्देश दे दिए। इस मामले में सीबीआई (CBI) ने 4 जुलाई 2019 को अज्ञात लोगों के खिलाफ आपराधिक षड्यंत्र हत्या और हत्या की कोशिश का मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी थी, लेकिन अभी तक सीबीआई की भी रिपोर्ट सामने नहीं आ पाई है।

सीएम ने कही विधानसभा में रिपोर्ट पेश करने की बात

प्रदेश के मुखिया भूपेश बघेल इस मामले में कहते हैं कि एड़समेटा पर न्यायिक जांच आयोग की रिपोर्ट विधानसभा में पेश की जाएगी। पत्रकारों से बातचीत में बघेल ने बताया कि रिपोर्ट आ चुकी है वह बात बिल्कुल सही है।

प्रदेश के मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि राज्य सरकार आदिवासियों की हत्या के मामले में हमेशा से ही चुप्पी साध लेती है। भाजपा हो या कांग्रेस आदिवासियों की फर्जी मुठभेड़ों में सैकड़ों जानें गई हैं, लेकिन किसी की भी सुनवाई अंजाम तक नहीं पहुंचती।

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