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Surya Grahan:148 साल बाद कल शनि जयंती के दिन सूर्य ग्रहण, जानिए सूतक काल, प्रभाव और भारत में कहां-कहां देगा दिखाई

साल का पहला सूर्यग्रहण 10 जून, दिन गुरुवार को लगेगा। हिंदू पंचांग के अनुसार, साल के पहले सूर्यग्रहण के दिन ज्येष्ठ मास की अमावस्या, शनि जयंती और वट सावित्री व्रत भी है। सूर्यग्रहण के दिन धृति और शूल योग भी बनेगा। हालांकि यह ग्रहण भारत में आंशिक तौर पर ही दिखेगा।असली रिंग ऑफ फॉयर का नजारा तो विदेशों में देखा जा सकेगा। देवी प्रसाद दुरई, एमपी बिरला प्लेनटेरियम के डायरेक्टर ने बताया कि लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश में यह केवल सूर्यास्त के पहले ही देखा जा सकेगा।
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भारत की बात करें तो इसे शाम लगभग 5:52 बजे इसे अरुणाचल प्रदेश में दिबांग वन्यजीव अभयारण्य के पास से देखा जा सकेगा। वहीं, लद्दाख के उत्तरी हिस्से में ये शाम लगभग 6 बजे दिखाई देगा। सूर्य ग्रहण, दोपहर 1 बजकर 42 मिनट से शुरू होकर शाम के 6 बजकर 41 मिनट तक रहेगा। परन्तु यह सूर्य ग्रहण भारत में, आंशिक सूर्य ग्रहण है। ज्योतिषियों की मानें तो यह ग्रहण भारत में नहीं लग रहा है इसलिए इसका कोई सूतक काल मान्य नहीं होगा। इसलिए इस ग्रहण के कारण पूजा पाठ, दान पुण्य पर कोई रोक नहीं होगी।
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दुर्लभ संयोग
ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि इस सूर्यग्रहण की सबसे खास बात है कि जिस दिन सूर्यग्रहण होगा उसी दिन शनि जयंती भी मनाई जाएगी। मान्यताओं के अनुसार सूर्यदेव और शनिदेव पिता-पुत्र हैं और दोनों के बीच में बैर भाव रहता है। जब 10 जून को पिता सूर्य ग्रहण की छाया में रहेंगे तब उसी दिन शनिदेव की जयंती भी मनाई जाएगी। 148 साल बाद शनि जयंती पर सूर्यग्रहण लग रहा है, इससे पहले 26 मई 1873 में इस तरह का संयोग बना था। इस मौके पर जिन जातकों पर शनि की साढ़ेसाती, ढैय्या या महादशा चल रही है उन्हें हनुमान चालीसा का पाठ और शनि से संबंधित चीजों का दान करना शुभफलदायी हो सकता है।
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यहां दिखेगा पूर्ण सूर्य ग्रहण
यह सूर्य ग्रहण उत्तरी अमेरिका, उत्तरी कनाडा, यूरोप और एशिया, ग्रीनलैंड, रूस के बड़े हिस्से में दिखाई देगा। हालांकि कनाडा, ग्रीनलैंड तथा रूस में वलयाकार जबकि उत्तर अमेरिका के अधिकांश हिस्सों, यूरोप और उत्तर एशिया में आंशिक सूर्य ग्रहण ही दिखाई देगा।

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