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फर्जी GST रजिस्ट्रेशन से टैक्स चोरी करने वालों की खैर नहीं, इस Act के तहत होगी कार्रवाई

नई दिल्ली : जो लोग फर्जी जीएसटी रजिस्ट्रेशन कराने के बाद उसके आधार पर फर्जी रसीदों के सहारे इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) के दावे करते हैं और किसी भी तरह की सेवा या उत्पाद की सप्लाई के बगैर ही वह राशि अपने खाते में जमा करा टैक्स की चोरी करते हैं, अब उनकी खैर नहीं। केंद्र और राज्यों के टैक्स अधिकारियों ने ऐसे लोगों का पता लगाने के लिए दो महीने का एक विशेष अभियान शुरू किया है। सरकार ने गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स नेटवर्क (GSTN) को पीएमएलए एक्ट में शामिल कर दिया है। इस एक्ट का पूरा नाम प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) है। इसके लिए बीते जिन देर रात को वित्त मंत्रालय द्वारा एक नोटिफिकेशन जारी किया गया है। इस नोटिफिकेशन में इसकी पूरी जानकारी दे दी गई है।

सरकार ने जीएसटी कलेक्शन के लिए इस एक्ट का उपयोग किया जाएगा। इससे टैक्स चोरी करने वाले और डॉक्यूमेंट्स में हेराफेरी करने वालों पर लगाम लगाई जा सकती है। इस एक्ट में फर्जी इनपुट टैक्स क्रेडिट, फर्जी चालान आदि शामिल किया जाएगा। ऐसा माना जा रहा है कि फर्जी बिलिंग के जरिये होने वाले टैक्स चोरी को रोकने के लिए सरकार ने ये फैसला लिया है। इस फैसले के बाद प्रवर्तन निदेशालय (ED) को और ज्यादा अधिकार मिल जाएंगे।

छोटे व्यापारियों को मिलेगा सॉफ्टवेयर
छोटे व्यापारियों गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स नेटवर्क की जानकारियों को अब पीएमएलए की धारा 66 (1) (iii) के तहत दी जाएगी। अब छोटे व्यापारियों को अपने अकाउंट रखने के लिए सॉफ्टवेयर भी उपलब्ध करवाया जाएगा। इसके लिए अब वो अपना मंथली रिटर्न को अपलोड कर सकते हैं।

गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स नेटवर्क क्या काम करती है?
यह एक मजबूत नेटवर्क है। इसे सरकार जीएसटी कलेक्शन के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इसे सभी केंद्र और राज्य सरकारों, करदाता और बाकी स्टेकहोल्डर्स को एक आईटी इंफ्रास्ट्रक्चर और सर्विस देता है।

गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स नेटवर्क क्या काम करती है?
-ये लोगों को रजिस्ट्रेशन की सुविधा देती है।
-इसके जरिये सेंट्रल और स्टेट अथॉरिटी को रिटर्न फॉरवर्ड किया जाता है।
-इससे आईजीएसटी का केल्क्यूलेशन और सेटलमेंट किया जाता है।
-टैक्स की पेमेंट और बैंकिंग के नेटवर्क को मैच किया जाता है।
-इसके साथ ही इसके जरिये एमआईसी रिपोर्ट भी दी जाती है।
-टैक्सपेयर्स की प्रोफाइल का एनालिसिस भी इसके जरिये किया जाता है।

प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट क्या है?
इसे आम भाषा में समझें तो ये जीएसटी नंबर के द्वारा पैसे की हेरफेर को ठिकाने में लगाया के लिए ये कानून काम करती है। ये एक तरह से मनी लॉन्ड्रिंग को रोकने के लिए किया जाता है। ये कानून 2005 में लागू किया गया था। इस कानून के तहत एडी आरोपी को गिरफ्तार करके उसके संपत्तियों को जब्त कर दिया जाता है। इसमें जांच के बाद ही कोर्ट द्वारा कोई फैसला लिया जाता है।

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